हम ने कभी सही देखना सीखा ही नहीं। आज हम technology के युग में रहतें हैं। क्या हम आज technology को समझ सकतें हैं। कभी नहीं। जब हम को खुद को ही अभी तक समझना नहीं आया तो हम आज के इस युग को कैसे समझ सकते हैं?
एक दिन वो था कि हम किताब को पढ़ते थे और सिर्फ लफ्ज़ को दुहराते थे। किताब चाहे धार्मिक हो या संसारी- कोई फर्क नहीं। हम ने किताब को पढ़ना कभी नहीं सीखा। तो आज हम इंटरनेट पर बहुत कुछ पढ़ते हैं, क्या हम असल में पढ़ते ही हैं? या वक़्त को निकालतें हैं ?
जब एक पेपर पर कुछ पढ़ते थे, तो उस में एक बहुत गहरा राज था, वो हमारी समझ में नहीं आया। आज जब हम लोहा, प्लास्टिक पर लफ्ज़ो को पढ़ते हैं तो भी हमारी समझ में कुछ नहीं आता। न ही हम को पढ़ना आता है और ना ही जो 'बेस' हम को मिलता है, उस की समझ हम को आती है। समझने वालो की वोही %है, उस में भी कोई फर्क नहीं। संसार हम से पैसा खो सकता है, हमारे गुणों का गलत फाइदा ले सकता है पर हम से हमारे गुण, हमारी समर्थ, हमारी लग्न, हम से कभी छीन नहीं सकता।
आज के इस technology युग ने हम को हमारी चेतना की योग्यता और चेतन रूप की समर्थ क्या है, उस को समझा रही है? क्या समझ आ रही है ? कैसे यह टेक्नोलॉजी हम को समझा रही है ?
खुदा वो कलाकार है, जिस की कला ब्रह्माण्ड के हर हिस्से में हैं, सिर्फ धार्मिक स्थानों पर ही नहीं है। खुदा की कला सिर्फ धार्मिक शब्दों में ही नहीं। खुदा की कला यह सब संसार है। यह सब ब्रह्मांड खुदा का घर है, जिस को खुदा ने कला से ही सजा कर के रखा हुआ है।
आज खुदा हम को technology के राहीं स्पेस का उपयोग करके, हमारा encounter हमारी चेतना के साथ करा रहा है। इंटरनेट की image को ज़रा ध्यान से देखो। फ़ोन को ज़रा ध्यान से देखो और समझो कि जिन में चेतन-का १% हिस्सा है। ज़िंदगी को एक ओर हिस्से से कला से भर दिया है। जिस को हम टेक्नोलॉजी कहते हैं।
आज मैं अगर खुद की ही बात करूं तो क्या कहूँ, मेरे हर तरफ एक अलौकिक माहौल है, जिस में हर वक़्त घटना घटती है। हर वक़्त जीवन का नया रंग, नया रूप, नई सोच, नई भावना , नया अनुभव , नई समझ का फैला है। मेरा शरीर संसार में रहता है, मैं नहीं।
मैं आज आप सभी की तरह ही इंटरनेट के राहीं एक अनूठा आयाम देख रही हूँ। इंटरनेट, मेरी सहूलत नहीं, एक विषय है, जिस को मैंने जानना और समझना है। यह बात बिलकुल अलग है कि मैंने ज़िंदगी के हर हिस्से को सदा धार्मिकता में से ही देखा है। सो मैंने टेक्नोलॉजी को भी मेरा अध्यितमिक विषय ही मान कर जाना है। जो स्पेस है, कैसे इंसान को जगाने की एक कला है।'इंटरनेट की वास्तविक क्षमता पूरे ग्रह में चेतना के इस नए प्रवाह से संबंधित है', जैसे कि चुप स्पेस है, जिस में हमारी चेतना इंटरनेट है , वैसे ही आज की यह technology स्पेस है और इंटरनेट चेतना है - जिस की समझ ही यही है कि यह
technology संसार को घेरती है और हमारी चेतना युगों को घेरती है। एक बूँद में वही है, जो समुन्दर में है।