Have you ever seen your own thoughts blossom in yourself?
The day I saw my thinking being born, after that day I always saw countless thoughts, feelings and experiences blossom in myself. I myself have become such a flower garden - in which every moment, thoughts and feelings like flowers start blooming,
- So how do I not feel refreshed?
- Then how do I not feel newness?
- Then how do I not feel well?
I began to see that my body has become a fertile land - in which every seed will sprout. Then I came to know that the real purpose of this body starts only when its sterility ceases completely.
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मैंने खुद में ही जब सोच और भावना को अंकुर होते देखा तो वोही अहसास एक बीज को अंकुर होते देखा, तो मिला। तब जान गई कि जीवन हर दिशा में एक जैसा ही है
क्या आप ने कभी खुद की सोच को खुद में खिलते हुए देखा है ?
जिस दिन मैंने खुद में सोच को पैदा होते देखातो उस दिन के बाद मैंने सदा ही खुद में अनगिनत सोच, भावना और अनुभवों को खिलते देखा। मैं तो खुद में ही एक ऐसी फुलवाड़ी बन गई- जिस में हर पल फूलों की तरह सोच और भावनाएं खिलने लगी,
- तो मैं कैसे नहीं ताज़ा महसूस करती ?
- फिर मैं कैसे नहीं नयापन महसूस करती ?
- फिर मैं कैसे नहीं तंदरुस्ती महसूस करती?
मैंने देखने लगी कि मेरा यह जिस्म एक उपजाऊ ज़मीन बन गया है - जिस में हर बीज अंकुर होवेगा। तब मैंने जाना कि इस जिस्म का असली मक़सद उस वक़्त ही शुरू होता है, जब इस का बाँझपना सम्पूर्ण रूप में ख़त्म हो जाता है।