Who is that
Today: I see myself being born in every moment. Then I ask myself that who was born long ago, 'Who is that?' A 'piece of meat' was born long ago, I was not.
I am still being born, every moment produces me. I have no hesitation in saying that Yuga has caused me. It is our 'I', it takes ages for it to be born.
Every moment surprises me and introduces my precious beauty to me. The 'I' that I am living today gives me such lessons every moment that I can become who I am, I can become that person. And I understood that a person does not need to go anywhere to become a human being, life itself makes a human being what a human being has to be.
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वोह कौन है
आज: मैं खुद को हर पल में पैदा होती देखती हूँ। तो फिर खुद को सवाल करती हूँ कि कि जो बहुत पहले पैदा हुई थी, 'वोह कौन है ?'
बहुत पहले एक 'मांस का टुकड़ा' पैदा हुआ था, मैं नहीं थी।
मैं तो अभी भी पैदा ही हो रही हूँ, हर पल मेरे को पैदा करता है। मेरे को यह कहने में झिझक नहीं है कि मेरे को युग ने पैदा किया है। यह जो हमारी ' मैं' है , इस को पैदा होने में युग ही लगतें हैं।
हर पल मेरे को हैरानी देता है और मेरी ही अनमोल शोभा को मेरे से मिलवाता है। आज जिस 'मैं' को मैं जी रही हूँ , हर पल मेरे को ऐसे सबक देता है कि मैं जो मैं हूँ , मैं वो मैं बन सकूं। और मैं यह समझ गई कि इंसान को इंसान बनने के लिए कहीं जाने की ज़रुरत नहीं होती, खुद ज़िंदगी ही इंसान को वही बना देती है, जो इंसान ने बनना ही होता है।
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I am who I am!
We never change because of attachment, when we know that attachment is the cause of our pain. When the fascination increases like a disease, then we do not even know what kind of cases we associate with.Life is a changing process. It is our nature to change, so we are not late in changing anything. Every day is new, every breath is new, our life is new every day. When we recognize this newness, then our energy will start appearing like shedding water, then we will start living in healthy life.
Whatever has passed, passed away. Living in the past is a pain. Yesterday will not work today.
Let's start living in freshness like dawn from today with openness and newness! -
मैं, जो मैं हूँ!
मोह के कारण हम कभी भी बदल नहीं पाते, जब कि हम जानते हैं कि मोह ही हमारे दर्द का कारण है। मोह जब रोग की तरह बढ़ जाता है तो हम को पता भी नहीं चलता कि हम कैसी कैसी केसों के साथ जुड़ जाते हैं। जीवन एक बदलती हुई पर्किर्या है। बदलना हमारा स्वभाव है, सो हम को कुछ भी बदलने में देर नहीं होती।हर दिन नया होता है , हर सांस नई है , हमारा जीना हर रोज़ नया होता है। जब हम इस नयेपन को पहचान गए तो हमारी ऊर्जा बहा पानी की तरह दिखाई देने लगेगी तो हम तंदरुस्त जीवन में जीने लग जाएंगे। जो बीत गया, बीत गया। बीते में जीना दर्द है। बीता कल आज पर काम नहीं करेगा। चलो आज से खुलेपन और नयेपन से सुबह की तरह ताजेपन में जीने की शुरूआत करें !
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Today
Today: Think of me flows like clear water and emotions fly like fresh air, which gives me healthy life. I speak only from deep experience. When today I have come to know that a part of me is the universe because I am a part of the universe, then when my fitness starts in me, then it will be my first step to make the universe healthy.
Love, light and blessings!
Let's live a healthy life from today-
आज
आज: मेरी सोचें साफ़ पानी की तरह बहती है और भावनाये, ताज़ी हवा की तरह उड़ती है , जो मेरे को तंदरुस्त जीवन देती हैं। मैं गहरे अनुभव से ही बात करती हूँ. जब आज मैं यह जान ही गई हूँ कि मेरा ही एक हिस्सा ब्रह्माण्ड है क्योंकि मैं एक हिस्सा ब्रह्माण्ड का ही हूँ तो मेरी तंदरुस्ती जब मेरे में शुरू हो जायेगी तो यह ब्रह्मण्ड को तंदरुस्त बनाने का मेरा पहला कदम होगा।
प्यार, प्रकाश और आशीर्वाद !
चलो आज से तंदरुस्त जीवन को जीयें